तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी
ये तेरी तरह मुझसे तो शर्मा न सकेगी
मैं बात करूँगा तो ये खामोश रहेगी
सीनेसे लगा लूँगा तो ये कुछ न कहेगी
आराम वो क्या देगी जो तदपा न सकेगी
यह अन्केहं हैं ठहरी हुई, चुंचल वोह निगाहें
यह हाथ हैं सहमे हुए, और मस्त वोह बाहें
पर्ची तो इंसान के काम आ न सकेगी.
इन होटों को फैअज़ मैं कुछ दे न सकूंगा
इस ज़ुल्फ़ को भी हाथ मैं में ले न सकूंगा
उलझी हुई रातों को सुलझ न सकेगी
तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी
Wednesday, June 30, 2010
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