Wednesday, June 30, 2010

Tasveer

तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी
ये तेरी तरह मुझसे तो शर्मा न सकेगी

मैं बात करूँगा तो ये खामोश रहेगी
सीनेसे लगा लूँगा तो ये कुछ न कहेगी
आराम वो क्या देगी जो तदपा न सकेगी

यह अन्केहं हैं ठहरी हुई, चुंचल वोह निगाहें
यह हाथ हैं सहमे हुए, और मस्त वोह बाहें
पर्ची तो इंसान के काम आ न सकेगी.

इन होटों को फैअज़ मैं कुछ दे न सकूंगा
इस ज़ुल्फ़ को भी हाथ मैं में ले न सकूंगा
उलझी हुई रातों को सुलझ न सकेगी

तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी